top of page




ललित निरंजन द्वारा रचित कविता - कहानियां - संगीत
एवं स्वादिस्ट व्यंजन



रामधारी सिंह दिनकर
1 “हाँ वो गंगा ही था “
मैं जब भी अपने सड़क से गुजरता, मेरी दृष्टि अनायास ही मोड़ पर बैठे मोची पर पड़ जाती, दुबली,पतली काया वाली शरीर, सर पर के सफेद झड़े झड़े बाल,...
Dec 2, 202419 min read
0 views
0 comments
गुलाब की वो सूखी पंखुड़ियाँ
गुलाब की वो सूखी पंखुड़ियाँ ------------------------------------------------ अंतरा Post Graduate Diploma in Management के फाइनल ईयर में...
Feb 9, 20227 min read
40 views
0 comments
"मान न मान, मैं तेरा मेहमान"
"मान न मान, मैं तेरा मेहमान" सीमा आज वापस लखनऊ चली गयी, उसके वापस चले जाने से एक और जहाँ इस बात कि तसल्ली थी कि घर का वातावरण वापस अपने...
Nov 14, 201531 min read
547 views
0 comments
अनकही कहानी - "और सुनयना कहाँ खो गयी"
खंड १ “डैड एक बुरी खबर है,” नरेन ने अपने डैड से कहा । "क्या ?" डैड ने घबडाते हुए पूछा" ? "अभी अभी राहुल का फोन आया था, उसकी मम्मी का आज...
Oct 1, 201535 min read
59 views
0 comments
काश ! “और वे लम्हे ......................???
खंड १ बिहार के अररिया जिले के अंतर्गत भारत - नेपाल बोर्डर पर विराटनगर से केवल बारह किलो मीटर दूरी पर अवस्थित “फारबिसगंज ”, अर्थ...
Sep 30, 201543 min read
331 views
0 comments
“हाँ वो गंगा ही था “
मैं जब भी अपने सड़क से गुजरता, मेरी दृष्टि अनायास ही मोड़ पर बैठे मोची पर पड़ जाती, दुबली,पतली काया वाली शरीर, सर पर के सफेद झड़े झड़े बाल,...
Sep 28, 201519 min read
43 views
0 comments
bottom of page