top of page




ललित निरंजन द्वारा रचित कविता - कहानियां - संगीत
एवं स्वादिस्ट व्यंजन



All Posts
1 “हाँ वो गंगा ही था “
मैं जब भी अपने सड़क से गुजरता, मेरी दृष्टि अनायास ही मोड़ पर बैठे मोची पर पड़ जाती, दुबली,पतली काया वाली शरीर, सर पर के सफेद झड़े झड़े बाल, मूहं पर चेचक का दाग, रंग काला सा, तन पर केवल एक फटी फटी सी लिपटी हुई धोती जो वह लूंगी कितरह लपेटे रहता था I सर पर तपती धूप से बचने के लिए अपना गमछा किसी तरह वहां पर एक छोटे से पेड़ से बांधकर लटका देता था I दो चार फटे जूते सिलने के लिए पड़े रहते, जिस तन्मयता से वह उनको सिलता था, वो सच में देखने वाली बात थी I एक दिन जब मैं वहां से गुजर रहा

Lalit Niranjan
Dec 2, 202419 min read
गुलाब की वो सूखी पंखुड़ियाँ
गुलाब की वो सूखी पंखुड़ियाँ ------------------------------------------------ अंतरा Post Graduate Diploma in Management के फाइनल ईयर में थी. और आज वेलेंटाइन डे था, वह अंग्रेजी नावेल “The Notebook a romantic novel by American novelist Nicholas Sparks”पढ़ ही रही थी कि उसका ध्यान नावेल के उस पेज पर चला गया जहाँ एक सूखे गुलाब की पंखुड़ियाँ रखी हुई थी प् सूखे गुलाब की उन पंखुड़ियों को देख कर एकबारगी उसका अंतर्मन अंदर से झकझोरकर कर उसे अपने स्कूल के उन दिनों में ले गया जब वह दिल्ली क

Lalit Niranjan
Feb 9, 20227 min read
"मान न मान, मैं तेरा मेहमान"
"मान न मान, मैं तेरा मेहमान" सीमा आज वापस लखनऊ चली गयी, उसके वापस चले जाने से एक और जहाँ इस बात कि तसल्ली थी कि घर का वातावरण वापस अपने रास्ते पर आ रहा था वहीँ दूसरी ओर पता नहीं क्यों सीमा के चले जाने का अफसोस भी कम नहीं था, कहीं इस बात का दुःख था कि सीमा के लिए कुछ अच्छा करना चाहा,पर सीमा का कुछ हो नहीं पाया, सीमा की ऊंची उड़ान और उसका एक गलत कदम उसे वापस वहीँ भेज दिया जहाँ से वह मुंबई कुछ करने के लिए, कुछ बनने के लिए आयी थी, सीमा अपने उसी पेरेंट्स के पास वापस जा रही थी

Lalit Niranjan
Nov 14, 201531 min read
अनकही कहानी - "और सुनयना कहाँ खो गयी"
खंड १ “डैड एक बुरी खबर है,” नरेन ने अपने डैड से कहा । "क्या ?" डैड ने घबडाते हुए पूछा" ? "अभी अभी राहुल का फोन आया था, उसकी मम्मी का आज शाम को देहांत हो गया” ? "कौन राहुल ? वह तुम्हारा दोस्त” ? "हाँ, वही"। "पर कब और कैसे” ? "अभी तो हाल ही हम सब उनके यहाँ डिनर पर गए थे, राहुल की मम्मी तो बिलकुल ठीक ठाक थी, फिर यह अचानक ? राहुल के डैड से भी भेंट हुई थी, बड़े अच्छे और हंसमुख व्यक्ति हैं, डैड ने पूछा” ? "शाम आंटी को बैचैनी महसूस हुई, राहुल घर पर ही था, तुरंत अस्पताल ले गया

Lalit Niranjan
Oct 1, 201535 min read
काश ! “और वे लम्हे ......................???
खंड १ बिहार के अररिया जिले के अंतर्गत भारत - नेपाल बोर्डर पर विराटनगर से केवल बारह किलो मीटर दूरी पर अवस्थित “फारबिसगंज ”, अर्थ व्यवस्था और व्यापार का बहुत ही बड़ा और मुख्य केंद्र रहा है Iपच्चास के दशक में यहाँ का मुख्य व्यापार जूट और धान की फसल थी, जो मुख्य रूप से मेवाड़ और राजस्थान से आकर बस गए मारवारियों के पास था । फारबिसगंज मेला, धरमगंज मेला, खगरा मेला – ये वे नाम हैं जिनसे राज्यभर में अररिया जिले को लोकप्रियता हासिल है, अब जब ये मेले अब अपनी पहचान खो रहे हैं, तब उ

Lalit Niranjan
Oct 1, 201543 min read
bottom of page